स्वयं से तू प्यार कर लें
क्यों खोया है तू चकाचौंध में
मृग तृष्णा है ये जीवन
तेरी खुशियां है तेरे भीतर
स्वयं से तू प्यार कर लें।
पंचतत्व आभा से निर्मित है ये तन
कुछ खोने पाने का न कर गम
समय कम है खुद को बदल
स्वयं से तू प्यार कर लें।
ईश्वर का तेज सुंदरतम है मानव तन
भीतर तेरे बैठा है ईश्वर
अंहकार का नाश कर
स्वयं से तू प्यार कर लें।
खाली हाथ तू आया है
साथ में क्या लेकर जाएगा
बार बार ना जन्म मिलेगा
स्वयं से तू प्यार कर लें।
धर्म शिक्षा ज्ञान और संस्कार
कूट कूट कर तू भर लें
स्वयं का तू सच्चा मीत है
स्वयं से तू प्यार कर लें।
मन का संतोष ही सच्चा धन है
खुद से खुद को प्यार कर
गैरों की बैसाखियां छोड़
सुन मुसाफिर चलता चल
स्वयं से तू प्यार कर लें।
नूतन लाल साहू
ऋषभ दिव्येन्द्र
26-May-2023 12:32 PM
बहुत खूब
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Haaya meer
26-May-2023 09:35 AM
Nice
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